प्रतापगढ़ की पहली महिला दबंग वन अधिकारी की कहानी: एक संघर्ष और सफलता की मिसाल

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प्रतापगढ़ की वनविभाग की पहली महिला दबंग अधिकारी, सोनम मीणा.आदिवासी क्षेत्र की जांबाज क्षेत्रीय वन अधिकारी हैं जिन्होंने न केवल अपने करियर में ऊँचाइयाँ छुईं, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उनका जीवन संघर्ष और परिश्रम की एक प्रेरक कहानी है, जो कई लोगों के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है

भूमिका

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की आदिवासी क्षेत्रों में खैर तस्करों की गतिविधियां वन विभाग के लिए हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही हैं। वन संपदा की सुरक्षा और संरक्षण का दायित्व निभाते हुए इस क्षेत्र में वन अधिकारियों को अक्सर खतरों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हाल ही में, प्रतापगढ़ में एक महिला वन अधिकारी ने अपने साहस और दृढ़ता से खैर तस्करों के खिलाफ ऐसी मुहिम छेड़ी है कि उनके नाम से ही तस्करों में खौफ फैल गया है। यह कहानी है त्तोनम मीणा की, जिन्होंने अपने साहस और प्रतिबद्धता से वन विभाग में एक मिसाल कायम की है

शुरुआती जीवन और प्रेरणा

सोनम मीणा का जन्म 28 सितंबर 1995 को नागदी, प्रतापगढ़ में हुआ था। बचपन से ही उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके पिताजी, जो एक अध्यापक थे, का सपना था कि त्तोनम पढ़-लिखकर समाज में नाम कमाए। लेकिन दुर्भाग्यवश, जब सोनम 12 वर्ष की थीं, उनके पिताजी का एक दुर्घटना में निधन हो गया। इस दुखद घटना के बाद सोनम के परिवार पर आर्थिक संकट गहरा गया। बावजूद इसके, सोनम की मां ने हिम्मत नहीं हारी और खेती-बाड़ी करके परिवार का पालन-पोषण किया।  भी अपनी शिक्षा जारी रखी और 2011 में 12वीं कक्षा में सफलता हासिल की।

सपने की ओर कदम

बी.एड. करने के बाद, सोनाम मीणा ने ठान लिया कि वे एक प्रतियोगी परीक्षा पास करके खुद के पैरों पर खड़ी होंगी। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और कई परीक्षाएं दीं। 2016 में वनरक्षक और वनपाल की भर्ती परीक्षाएं पास करने के बाद, उनका चयन वनपाल पद पर हुआ। यह दिन सोनम और उनके परिवार के लिए बेहद खुशी का दिन था क्योंकि यह उनके पिताजी के सपने की दिशा में पहला कदम था

खैर तस्करों के खिलाफ अभियान

अपने वनपाल के कार्यकाल के दौरान, सोनम मीणा ने खैर तस्करों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। उन्होंने कई बार तस्करों का सामना किया, उनकी नाकेबंदी तोड़ी, और वन संपदा की रक्षा के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना संघर्ष किया। उनके नेतृत्व में, वन विभाग की टीम ने खैर और सागवान तस्करों को पकड़ने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। इसके अलावा, उन्होंने वन्यजीव संरक्षण के लिए भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिसमें सैकड़ों घायल वन्यजीवों का रेस्क्यू और उपचार शामिल है

सफलता और सम्मान

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सोनम मीणा की मेहनत और समर्पण को देखते हुए, 2023 में उनका प्रमोशन क्षेत्रीय वन अधिकारी के पद पर हुआ। अपने नए पद के साथ, उन्होंने लसाड़िया रेंज का चार्ज भी संभाला और वहां भी अपने अभियान को जारी रखा। उनके साहसिक कार्यों के लिए उन्हें कई बार सम्मानित किया गया, जिसमें 2020 में उपखंड स्तर पर और 2021 में वनमंडल स्तर पर उन्हें विशेष सम्मान प्राप्त हुआ।

भविष्य की दिशा

सोनम मीणा का यह सफर यहीं समाप्त नहीं होता। उन्होंने वन विभाग के नए अधिकारियों के लिए एक प्रेरणा का काम किया है। उनकी कहानी बताती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अगर हिम्मत और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। वन्यजीवों की रक्षा और वन संपदा का संरक्षण एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें त्तोनम मीणा जैसी जांबाज अधिकारियों की अहम भूमिका है।

 

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में खैर तस्करों के खिलाफ अभियान की अगुवाई करने वाली सोनम मीना ने दिखा दिया है कि सच्चे साहस और प्रतिबद्धता से कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती। उनकी यह कहानी न केवल वन विभाग के अधिकारियों बल्कि आम जन के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है, जो यह बताती है कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। सोनम की इस यात्रा ने साबित किया है कि सही मार्गदर्शन और दृढ़ इच्छाशक्ति से हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं

आगे की राह

अपने अनुभव और ज्ञान से, सोनम मीणा आज भी वन विभाग के नए अधिकारियों को मार्गदर्शन देने का कार्य कर रही हैं। वे उन्हें यह सिखा रही हैं कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और किस तरह सही रणनीति और संकल्प से सभी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। उनके योगदान ने न केवल प्रतापगढ़ के वन विभाग को बल्कि पूरे राज्य के वन प्रशासन को सशक्त किया है।

इस प्रकार, सोनम मीना की कहानी हमें सिखाती है कि संघर्षों से भरी राह पर भी अगर इरादे मजबूत हों, तो सफलता जरूर मिलती है। वन विभाग को ऐसे ही निडर और समर्पित अधिकारियों की जरूरत है, जो देश की वन संपदा की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकें।

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